India Independence Day – 15 August 1947 स्वतंत्रता दिवस
India Independence Day 200 से ज़्यादा सालों के बाद15 अगस्त 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन का अंत हुआ। उस महत्वपूर्ण दिन से ही 15 अगस्त को भारत के Independence Day स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश है, जिसे पूरे देश में ध्वजारोहण, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और स्वतंत्रता संग्राम की याद के साथ मनाया जाता है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और प्रतीक: तिरंगा
प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है। यह एक स्वतंत्र देश होने का संकेत है। भारत में ” तिरंगा ” का अर्थ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है। हमारा तिरंगा, जो कि देश की एकता, शांति, और विकास का प्रतीक है, हमें हमेशा देश के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है। तिरंगा, न केवल भारत का राष्ट्रीय ध्वज है, बल्कि यह देश की विविधता में एकता, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, और सामूहिक संकल्प का प्रतीक भी है। इस अभियान के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक धरोहर और मूल्यों को सम्मान देने का प्रयास किया गया।
तिरंगे के मुख्य तत्वों और उनके प्रतीकात्मक महत्व
तत्व |
वर्णन |
ध्वज के रंग |
तिरंगा तीन रंगों में विभाजित है: संतरी, सफेद, और हरा। |
संतरी रंग |
सबसे ऊपर की पट्टी संतरी रंग की होती है, जो बलिदान और संघर्ष का प्रतीक है। |
सफेद रंग |
मध्य पट्टी सफेद रंग की होती है, जो शांति, सच्चाई, और शुद्धता का प्रतीक है। |
हरा रंग |
सबसे नीचे की पट्टी हरे रंग की होती है, जो प्रगति, हरित भूमि, और धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है। |
ध्वज का आकार |
तिरंगा एक आयताकार ध्वज होता है, जिसका अनुपात 2:3 होता है (लंबाई और चौड़ाई का अनुपात)। |
अशोक चक्र |
सफेद पट्टी पर, मध्य में, एक गहरे नीले रंग का अशोक चक्र होता है, जिसमें 24 स्पोक होते हैं। |
अशोक चक्र का प्रतीक |
अशोक चक्र निरंतरता, धर्म, और विकास का प्रतीक है। |
ध्वज के नियम |
तिरंगे को सम्मानपूर्वक फहराना चाहिए, इसे जमीन पर नहीं रखना चाहिए, और गंदा या अशुद्ध नहीं करना चाहिए। |
ध्वज का उपयोग |
इसे उचित तरीके से मोड़कर और सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए। |
यह टेबल तिरंगे के मुख्य तत्वों और उनके प्रतीकात्मक महत्व को स्पष्ट करती है।
India Independence Day Tryst with Destiny – भाग्य से साक्षात्कार
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भाषण दिया था, वही भाषण मै उन्होने कहा था Tryst with Destiny भाग्य के साथ प्रयास करें के नाम से प्रसिद्ध है. इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण भाषणों में से एक माना जाता है. यह भाषण, जिसे “भाग्य से साक्षात्कार” (Tryst with Destiny) के नाम से जाना जाता है, स्वतंत्र भारत के लिए एक प्रेरणादायक और दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह न केवल स्वतंत्रता का जश्न था, बल्कि स्वतंत्रता के साथ आने वाली जिम्मेदारियों की भी याद दिलाता है।
भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। जवाहरलाल नेहरू, जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने, जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध India Independence Day Tryst with Destiny “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” भाषण दिया, जो एक नए युग की शुरुआत थी।
“लंबे समय से हमने इस क्षण के लिए प्रयास किया है, और अब यह क्षण आया है, जब हम अपने भाग्य से साक्षात्कार करेंगे। आज जब दुनिया सो रही है, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा। यह हमारे लिए केवल एक स्वतंत्रता का क्षण नहीं है, बल्कि एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी का भी क्षण है। स्वतंत्रता और शक्ति के साथ, जिम्मेदारी भी आती है।
भारत का जो सपना था, वह अब पूरा हो गया है। लेकिन स्वतंत्रता केवल अंत नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत है। वह अवसर हमारे पास आया है, और हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और उन आदर्शों की सेवा करनी चाहिए, जिन्हें हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए संजोया था।
78th Independence Day – ‘हर घर तिरंगा’
Ghar Ghar Tiranga Independence Day
09 अगस्त से 15 अगस्त तक “हर घर तिरंगा“ (Har Ghar Tiranga) अभियान मनाया जाता है I यह एक पहल है जो भारत सरकार द्वारा 2022 में आज़ादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य भारत की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देशभर में तिरंगे (राष्ट्रीय ध्वज) को हर घर में फहराने के लिए प्रेरित करना था। यह पहल लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जागृत करने और भारत के राष्ट्रीय झंडे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई है।
झंडे के साथ हमारा संबंध सदैव व्यक्तिगत की बजाए औपचारिक और संस्थागत रूप में अधिक रहा है। आज़ादी के 78 वें वर्ष के दौरान एक राष्ट्र के रूप में झंडे को सामूहिक रूप से घर पर लाना न केवल तिरंगे के साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध का प्रतीक है बल्कि यह राष्ट्र निर्माण में हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
राष्ट्रीय ध्वज के ग़लत प्रदर्शन से बचने के लिए हमे क्या करना चाहिए?
- राष्ट्रीय ध्वज को उल्टे तरीके से प्रदर्शित नहीं किया जाएगा; यथा केसरिया हिस्सा नीचे नहीं होना चाहिए।
- राष्ट्रीय ध्वज के साथ कोई अन्य ध्वज या ध्वजपट उससे ऊपर या उससे ऊँचा या उसके बराबर नहीं लगाया जाएगा; न ही ध्वजारोहण के दौरान कोई फूल या माला या प्रतीक सहित कोई वस्तु, जिससे राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, ऊपर रखी जाएगी।
- राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग तोरण, फुंदने, ध्वजपट या अन्य किसी तरह की सजावट के लिए नहीं किया जाएगा।
- राष्ट्रीय ध्वज को ज़मीन या फर्श या पानी में स्पर्श की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में इसे प्रदर्शित या लगाया नहीं जाएगा।
- राष्ट्रीय ध्वज किसी भी व्यक्ति या चीज की सलामी में नहीं झुकाया जाएगा।
- राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वक्ता को मेज को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा, न ही वक्ता के मंच को इससे लपेटा जाएगा।
- राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी पोशाक या वर्दी या किसी पहनावे के हिस्से में चित्रित नहीं किया जाएगा, जो किसी भी व्यक्ति के कमर के नीचे पहना जाता है और न ही कुशन, रूमाल, नैपकिन, अंतःवस्त्र या किसी कपड़े में कढ़ाई या मुद्रित रूप में किया जाएगा।